Thursday 6 March 2014

एजुकेअर क्या है?



एजुकेअर क्या है?
एजुकेशन के दो पहलू हैं. पहला सांसारिक ज्ञान, जो किताबों और प्रयोगशालाओं से हमें मिलता है, और हमारे जीवन-यापन को सुगम एवं सुविधाजनक बनाता है.
तथा दूसरा वह अंतर्निहित ज्ञान जो मानव मूल्यों (सत्य,धर्म,शान्ति,अहिंसा और प्रेम) से सम्बद्ध है.
यह ज्ञान हमारे जीवन को और समूची सृष्टि को सुरक्षित और निरापद रखने के लिए कारगर और आवश्यक है.
इस ज्ञान को किताबों और प्रयोगशालाओं में सीखा नहीं जा सकता. यह हमारे अन्दर निसर्गत: विद्यमान है.
इसे केवल समझदारीपूर्ण व्यवहार और आचरण से उभारा या प्रकट किया जा सकता है. इस दूसरे प्रकार के ज्ञान को एजुकेअर कहते है.
एजुकेअर का महत्व:
जिस प्रकार किसी पक्षी की उड़ान के लिए दो पंखों की ज़रुरत होती है. उसी प्रकार मनुष्य भी अपनी ऊंची उड़ान तभी भर सकता है जब उसके यह दोनों पंख मजबूत हों; एजुकेअर और सांसारिक ज्ञान.
सांसारिक ज्ञान ने हमारे जीवन को अनेक तरह के यंत्र और उपकरण व अन्य सुविधाएं तो दी हैं किन्तु उनके सही सर्वहितकारी उपयोग की शिक्षा देने में वह असमर्थ रहा है. उस ज्ञान के अनर्गल विकास ने हमें मन चाहे अस्त्र-शस्त्र तो दिए पर उनके संयत और जीवनोपयोगी प्रयोग के लिए आवश्यक समझ और भावना देने में वह सक्षम न हो सका.
फलत: प्रकृति की परस्पर परिपूरक व्यवस्था नष्ट हो रही है.
हम जिस शाख पर बैठे हैं उसे ही काट रहे हैं. प्रकृति की विविधता नष्ट होने से अतिवृष्टि,अल्पवृष्टि,भूकंप व तरह तह की प्राकृतिक आपदाएं हम पर सवार हो रही हैं.
इनसे बचने के लिए और प्रकृति के सर्वहितकारी, परिपूरक स्वरूप को अक्षुण रखने के लिए हमें सत्य, धर्म, शान्ति, अहिंसा और प्रेम के व्यवहार की अनिवार्य आवश्यकता उत्पन्न हो गयी है.
इसे हम सांसारिक ज्ञान के साथ, एजुकेअर के सहगामी विकास को बढ़ावा देकर पूरा कर सकते हैं.

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